यह अनुमान लगाया गया है कि ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी में प्रत्येक 10 प्रतिशत की वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.38 प्रतिशत की वृद्धि करने की अगुआई करेगा। भारत में ब्रॉडबैंड के विस्तार को मोबाइल टेलीफोन में विकास की गति के साथ तालमेल नहीं बनाया गया है। भारत में ब्रॉडबैंड की पहुंच संतोषजनक सीमा से दूर है। सरकार द्वारा पंचायतों को संवैधानिक रूप से तीन-स्तरीय माना गया है और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन के लिए प्रबंधन तीसरे दर्जे का रहा है। ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ पंचायतों के कवरेज में ग्रामीण नागरिकों को सशक्त बनाने की एक बड़ी क्षमता है। इसमें उन लोगों के लिए सूचना, सार्वजनिक सेवाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय समावेश शामिल है।
उपरोक्त नजरिये को ध्यान में रखते भारत सरकार ने 25 अक्टूबर, 2011 को देश के 2.5 लाख ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर का इस्तेमाल करते हुए कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क(एनओएफएन) को स्थापित करने की मंजूरी दे दी है, जिससे पर्याप्त बैंडविड्थ के साथ ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी सुनिश्चित होगा। वर्तमान में ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग ग्राम पंचायतों और ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड के विस्तार के लिए विशेष उद्देश्य वाहक(एसपीवी) के द्वारा किया जा रहा है, जिसे भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की कंपनियों के अधिनियम—1956 के तहत प्रबंधन और एनओएफएन के संचालन के लिए 25 फरवरी, 2012 को पंजीकृत किया गया।